Tuesday, July 26, 2011

A. Raja

ए. राजा ने इतने दिनों के बाद अपने आप को अकेला पाकर अंदर छुपी सच्चाई को बाहर लाने की कोशिश कर रहे है तभी तो इतने दिनों के बाद उन्हें ये याद आया कि उन्होंने फाइल PM को भेजी थी और स्पेक्ट्रम आवंटन की सारी जानकारी PM को भी थी. उनके इस बयान में अगर थोड़ी भी सच्चाई हुई तो इतने समय से ईमानदारी का मुखोटा लगाये देश के साथ धोखा करने वाले प्रधानमंत्री देश कि जनता से कैसे नजर मिला पाएंगे और उनके मंत्री मंडल के साथी जो कि लोकपाल बिल से प्रधान मंत्री को बाहर रखने की बकालत करते आ रहे है वो क्या इस लिए की उन्हें भी इस बात का पता है की सभी घोटालो का होना प्रधानमंत्री की जानकारी में रहता है और यदि कोई भविष्य में लोकपाल बिल के पास हो जाने के बाद अगर घोटालो में फसे तो उसके मुखिया यानि प्रधान मंत्री बाहर रहकर उसकी मदत कर सके. 

Monday, July 25, 2011

Eak aur khel Kalmadi ka

कलमाड़ी जी को डिमेंशिया नामक रोग हो गया जिसमे आदमी अपनी बातो को भूलने लगता है , उनके बकील के अनुसार यह बीमारी कलमाड़ी को कई सालो से है यदि इस बात को सच माना जाये तो क्या गेम कराने की जिम्मेदारी लेते समय कलमाड़ी जी को इस बात की जानकारी सभी को देनी नहीं चाहिए थी की उन्हें बातें भूलने की बीमारी है यदि उनके द्वारा किसी को पैसे लेकर काम  दिया गया और उसे वो भूल जायेंगे तो उनकी कोई जवाबदारी नहीं होगी. पैसा लेकर भूल जाना ये उनकी नहीं ,बीमारी की गलती है जिसका हर्जाना देश की जनता को भुगतना पड़ेगा. न की कलमाड़ी जी की . अब देखना ये है की कोर्ट इस बात को कहा तक सच मानता है और कलमाड़ी जी के इस नए खेल में क्या नतीजा निकलता है.

Thursday, January 13, 2011

भारत कृषि प्रधान देश में अन्न दाता की दशा

महाराष्ट्र के विधर्व में किसानो की आत्महत्याओं को लोग भूल भी नहीं पाए है और भारत का कृषि प्रधान प्रदेश मध्य प्रदेश भी किसानो की हत्याओं में नाम रोशन करने की कगार पर है। विगत ७ दिनों में ७ किसानो की आत्महत्या इस बात का प्रमाण है। किसानो के नाम पर देश भर में इतना पैसा सरकारों द्वारा दिया जाता है उसके बाद भी यदि किसान आत्महत्या करने को मजबूर है तो कही न कही सरकार की लाचारी और योजना में खामियौं को दर्शाता है। उस पर नेताओं द्वारा गैर जिम्मेदाराना बयान सिर्फ राजनीती में अपना उल्लू सीधा करने की बात होती है। मध्य प्रदेश में ख़राब फसलो के चलते कर्ज न चुका पाने की स्थिति निर्मित हो गई है इस कारण किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है। इस पर अधिकारी और नेता समस्या को समझने की बजाये उसे छुपाने की कोशिश में समय बर्बाद कर देते है। इस समस्या का सभी को मिलकर खत्म करने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि जिन्हें ये काम करना चाहिए उनका जमीर मर चुका है।